चुम्बकीय परिपथ
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वह परिपथ जिसमें चुम्बकीय फ्लक्स प्रवाहित होता है , चुम्बकीय परिपथ कहलाता है।
1. चुंबकशीलता - किसी पदार्थ का वह गुण जिससे उसके परमाणु आसानी से सुव्यवस्थित हो जाते हैं , चुंबकशीलता कहलाता है।
यह पदार्थ के फ्लक्स स्थापित करने की क्षमता तथा फ्लक्स रेखाओं के शुक्ष्म प्रतिकर्षण से भी परिभाषित किया जाता है।
➯चुंबकशीलता का प्रतीक चिन्ह μ है।
➯चुंबकशीलता का SI मात्रक हेनरी / मीटर है।
μ = μ0μr हेनरी / मीटर
μ0 = निर्वात की चुम्बकशीलता
= 4ㅠх10 to the power -7 हेनरी / मीटर
μr = सापेक्ष चुंबकशीलता
→सापेक्ष चुंबकशीलता : ये वह संख्या है जो बताता है की कोन सा पदार्थ निर्वात की अपेक्षा फ्लक्स का अच्छा चालक है। विभिन्न पदार्थों के सापेक्ष चुंबकशीलता का मान -
1.हवा = 1 से कम
2.प्रतिचुम्बक = 1 से कम
3.अनुचुम्बक = 1 से अधिक
4.लौहचुम्बक = सैकड़ो या हज़ारों में
2.चुम्बकत्व वाहक बल(mmf) - वह बल जो चुम्बकीय परिपथों में फ्लक्स स्थापित करता है या करने का प्रयत्न करता है चुम्बकत्व वाहक बल कहलाता है।
एकांक चुम्बक ध्रुव को सम्पूर्ण चुम्बकीय परिपथ में ले जाने गए जूल में कार्य को चुम्बकत्व वाहक बल कहते हैं।
AT=NI
N= परिपथ में वर्तनों की संख्या
I= उनमे प्रवाहित धारा
3. प्रतिष्टम्भ - चुम्बकीय परिपथ द्वारा फ्लक्स स्थापन में प्रस्तुत किया गया अवरोध प्रतिष्टम्भ कहलाता है।
किसी चुम्बकीय परिपथ का प्रतिष्टम्भ (S) = l = l प्रति हेनरी
μA μ0 μrA
l= चुम्बकीय परिपथ की लम्बाई
μ0= निरपेक्ष चुंबकशीलता
μr= सापेक्ष चुंबकशीलता
"चुम्बकीय प्रतिष्टम्भ चुम्बकत्व वाहक बल तथा फ्लक्स का अनुपात होता है। "
➠ प्रतिष्टम्भ = चुम्बकत्व वाहक बल
फ्लक्स
प्रतिष्टम्भ का मात्रक एम्पेयर वर्तन /वेबर अथवा प्रति हेनरी है।
4. परमिएन्स - प्रतिष्टम्भ का विलोम परमिएन्स कहलाता है।
➠ परमिएन्स = 1 = 1
प्रतिष्टम्भ S
→परमिएन्स का मात्रक वेबर/ एम्पेयर वर्तन अथवा हेनरी है।
5. प्रतिष्टम्भता - यह विशिष्ट प्रतिष्टम्भता है तथा प्रतिरोधकता के सामान होता है जो विशिष्ट प्रतिरोध है।
फ्लक्स घनत्व(B) तथा चुम्बकीय क्षेत्र समर्थ(H) में सम्बन्ध -
' . ' S = l = NI
μ0 μr Ф
या Ф = NI
μ0 μr A l
' . ' B = Ф/A तथा H = NI / l
. ' . B = H
μ0 μr
[ B = μ0 μr H ]
या [ B = μH ]
→अतः चुंबकशीलता फ्लक्स घनत्व एवं चुम्बकीय क्षेत्र सामर्थ का अनुपात है।
विद्युत् परिपथ एवं चुम्बकिय परिपथ की तुलना -
अंतर -
(1)चालक की प्रतिरोधकता ज्यादातर नियत रहता है परन्तु लौह चुम्बकीय पदार्थों की चुंबकशीलता का मान क्षेत्र (2)समर्थ के साथ परिवर्तित होता रहता है।
(3)फ्लक्स वास्तव में बहता नहीं है जबकि विद्युत् धारा बहती है।
(4)विद्युत् परिपथ में विद्युत् प्रवाह को बनाये रखने के लिए सप्लाई लगातार दी जाती है किन्तु चुम्बकीय परिपथ में एक बार फ्लक्स स्थापित हो जाने के बाद कोई सप्लाई / ऊर्जा की आवश्यकता नहीं पड़ती।
(5)चुम्बकीय पदार्थों में सेचुरेशन की घटना होती है जिसके बाद पदार्थ पर चुम्बकीय क्षेत्र बढ़ने पर भी फ्लक्स घनत्व नियत ही रहता है , जबकि वद्युत परिपथ में ऐसा नहीं होता।
चुम्बकीय पदार्थों में हानियाँ -
जब किस चुम्बकीय पदार्थ को परिवर्ती चुम्बकीय फ्लक्स में रखा जाता है तो निम्न दो प्रकार की हानियाँ होती हैं -
(1 )हिस्टेरिसिस हानि
(2 )एडी करंट हानि
उपर्युक्त हानियों को सम्पूर्ण क्रोड हानियां (core losses) कहते हैं।
(1)हिस्टेरिसिस हानियां - सभी लौह चुम्बकीय पदार्थ क्यूरी तापमान के निचे हिस्टेरिसिस की घटना प्रदर्शित करते हैं। जिसकी परिभाषा -
"किसी पदार्थ का वह गुण जिसके कारण चुम्बकीय रिवर्सल में कुछ ऊर्जा नष्ट हो जाती है।"
अथवा
"प्रेरित /चुम्बकीय फ्लक्स घनत्व(B) का चुम्बकन बल(H) से पिछड़ जाने को हिस्टेरिसिस कहते हैं।"
nice blogs sir
ReplyDeleteEkdam jhakkas sir je my doubt is solve.......thank you.
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